राहुल सांकृत्यायन की स्मृति में भारतीय डाकतार विभाग की ओर से १९९३ में उनकी जन्मशती के अवसर पर १०० पैसे मूल्य का एक डाक टिकट जारी किया गया। पटना में राहुल सांकृत्यायन साहित्य संस्थान की स्थापना की गई है। यहाँ उनसे संबंधित वस्तुओं का एक संग्रहालय भी है। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के पंदहा गाँव में राहुल सांकृत्यायन साहित्य संग्रहालय की स्थापना की गई है, जहाँ उनका जन्म हुआ था। वहाँ उनकी एक वक्षप्रतिमा भी है। साहित्यकार प्रभाकर मावचे ने राहुलजी की जीवनी लिखी है और उनके व्यक्तित्व के उस हिस्से को उजागर किया है, जिससे लोग अनभिज्ञ थे। यह पुस्तक १९७८ में पहली बार प्रकाशित हुई थी। इसका अनुवाद अँग्रेज़ी, रूसी आदि अनेक विदेशी भाषाओं में भी प्रकाशित हुआ। राहुलजी की कई पुस्तकों के अंग्रेज़ी रूपांतर तो हुए ही हैं, चीनी, रूसी आदि अनेक विदेशी भाषाओं में भी उनकी कृतियां लोकप्रिय हुई हैं। उन्हें १९५८ में साहित्य अकादमी पुरस्कार, तथा १९६३ में भारत सरकार के पद्मभूषण अलंकरण से विभूषित किया गया।
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